अंग्रेजी क बोखार - तारकेश्वर राय 'तारक'

काहें भुलाता लोग माईवाला बोली
जइसे इ बोलला से लागी गोली।

डर बा, माईवाला बोली से कहहिंये गंवार
छोड़, फेक, आ अब त छूठ गईल गावों जवार।

गांव जवार छुटला से बोली भुलाई?
ई त बा खून में कइसे बहरीयाई?

मानस में जियतिया दबवले ना दबाई
पड़ले दुःख के पहिले इहे बहरीयाई।

ना चहलो पा निकली मुहं से
समय इ खोजतिया जरी धुह से।

सबकरा प चढ़ल बा अंग्रेजी के बोखार
सिखब जरूर चाहे महला होखी खोभार।

अँगरेजी सिखल त नइखे बाउर
खूब सीखी, लिखी, पढ़ी, इच्छा राउर।

राखी दिमाग में, मत एके दिल में बसाई
उ त माईभाखा के ठीहा ह, ओके बैठाई।

अंग्रेजी के सहारे दुनिया के जानी
देखि कूल्हे लेकिन रीत आपन मानी।

जेहर देखि ओहर अंग्रेजीये के चर्चा
जइसे माईभाखा बोलला से लागि खर्चा।

देखि, गुनी, कुल दुनियाँ जहान
लेकिन आपन भाषा के मानी महान।

राउर नेह क्षोह से माई जुड़ाई
जेहन में राख "तारक" त केहू ना मुड़ाइ।
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लेखक परिचय:-
सम्प्रति: उप सम्पादक - सिरिजन (भोजपुरी) तिमाही ई-पत्रिका
गुरुग्राम: हरियाणा

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