गिरगिट - दिनेश पाण्डेय

सोझ हराई में साजिश के
बुनत रहल बिखबेली जे,
काहे दुन कुछ दिन ले भइया,
बाँट रहल गुर भेली से।

ढलल बयस तबहूँ ना जानसि 
अंतर मुरई गाजर के,
रँहचट में सोना के सपना
आन्हर काढ़सि काजर के।
जेकर बगली फाटल रहुवे
हाथे रखल अधेली से।

जे बघरी में फेंकत रहुवे
सँझहीं से कंकर पत्थल,
अन्हियारे के मत्थे काने
सबद पसारल अनकत्थल।
आजु-काल्हु ना जाने काहे
उलुटे बाँस बरेली से।

जुर्जोधन के मत भरमइलसि
ठकुरसुहतियन के टोली,
जरल जुबाँ कइसे कस माने
भनत फिरस माहुर बोली।
गांधारी के आँखे झोंपा
नीमिया गाछि करेली के।
-----------------
लेखक परिचय:-
नाम - दिनेश पाण्डेय
जन्म तिथि - १५.१०.१९६२
शिक्षा - स्नातकोत्तर
संप्रति - बिहार सचिवालय सेवा
पता - आ. सं. १००/४००, रोड नं. २, राजवंशीनगर, पटना, ८०००२३

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.