मिलजुल सबही के ज़ेबा टटोले के हर बेमारी मे, काम सरकारी मे
देहरी मे घुसि के, जबरी बोले के बिलात विकेट से बिखरल पारी मे
सुने जे ना केहु त धइके झकोले के बड़की आन्ही से उजरल बारी मे
चेहरा न खिली , घात करे के, मुद्दा न मिली, उतपात करे के।
चलीं! बात करे के॥ चलीं! बात करे के॥
फूटल थरिया मे पड़ल निवाला के मेला - ठेला मे घर के झमेला मे
चोरो - घघोटो मे टूटल ताला के चउक – चौबारा पर बढ़त बवेला मे
देखिके बदनाम कवनों शिवाला के लूट मचल बाटे कूल्हि तबेला मे
आँखियो लाल, साथ साथ करे के ॥ दियरी के संगे जज़बात धरे के ।
चलीं! बात करे के॥ चलीं! बात करे के॥
बदरी-बुन्नी मे भसल ओसारी के गाहे बगाहे होत रसते के लफड़ा से
चिन्हल-जानल मे गइल उधारी के रोज-रोज चलत धरम के झगड़ा से
मँगनी मे उपरल कवनो बेमारी के दान मे मिलल मलमल के कपड़ा से
टेम अछते, कुजात करे के। इजत तोपे क शुरुवात करे के ।
चलीं! बात करे के॥ चलीं! बात करे के॥
बोझा कपारे क केकरो धराई के
टाइम बेटाइम भइल खराई के
झगरा मे दोसरा के अनही अगराई के
धूरी मे रसरी बलात बरे के।
चलीं! बात करे के॥
--------------------------
संपादक: (भोजपुरी साहित्य सरिता)
इंजीनियरिंग स्नातक;
व्यवसाय: कम्पुटर सर्विस सेवा
सी -39 , सेक्टर – 3;
चिरंजीव विहार , गाजियाबाद (उ. प्र.)
फोन : 9999614657
ईमेल: dwivedijp@outlook.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें