कैकयी के सफाई - विद्या शंकर विद्यार्थी

अपने घर में अपने पुत से भइल बा आज डेराये के 
लइकइयें के थेथरिआह गइल ना ऐब थेथरिआये के।

ना मंगतीं गद्दी तऽ बाद में खूब कोर पकड़ के रोइत 
सुतल राति में सपनाइत आ खार आगि के ई बोइत।

सुन रे माई हईं आ अपना जमला के तिकलीं रे हम 
ढेरे माई होइहें बाकिर हमरा अइसन करिहन रे कम।

छोटो रहस त रे बबुआ तोरा मलपुआ अंटकत रहे 
ना नहइलस ना खइलस अबहीं चिंता रे लटकत रहे।

अस्थिर चीत कर आपन आ आगे के बात तें सोच 
भाई के परेम में बउराह होके माइए के तें मत नोच।

राजा बेटा कहलीं सब दिन हम राज दिअवले बानी 
नेकी धोअबे त धोव माई के दुनिया त झूठ ना मानी।
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लेखक परिचयः
C/o डॉ नंद किशोर तिवारी
निराला साहित्य मंदिर बिजली शहीद
सासाराम जिला रोहतास ( सासाराम )
बिहार - 221115
मो 0 न 0 7488674912

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