कतिकी रितु - दिनेश पाण्डेय

सुगइया रंग सारी, 
नदी रूपली किनारी, 
भुईं गरबिला मुँह 
आब छितरा रहल।

गाभा भर धान पौध, 
पात-पात चकाचौंध, 
मोतियन लड़ी पेन्ह 
खूब इतरा रहल।

दोरसा उचाट दिन, 
रतिया बदर बिन, 
मनवा के कोने कहीं 
ईरिखा जगा रहल।

ए री सखी का से कहीं, 
कतिना ले पीर सहीं, 
कतिकी ई रितु कौनो
रिकिथी पुँगा रहल।
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लेखक परिचय:-
नाम - दिनेश पाण्डेय
जन्म तिथि - १५.१०.१९६२
शिक्षा - स्नातकोत्तर
संप्रति - बिहार सचिवालय सेवा
पता - आ. सं. १००/४००, रोड नं. २, राजवंशीनगर, पटना, ८०००२३

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