घटिया पर दीयना जरइले बानीं - विद्या शंकर विद्यार्थी

घटिया पर दीयना जरइले बानीं ए माई
आईं आईं आईं रउरा दया करीं आईं

भूखिया पिअसिया आ नेहिया में बानीं
अब तक अँचरिया हो खाली लेले बानीं
दसो नोह जोरी के रउरा के गोहराईं। आईं...॥

ताना लेईके जिनगी जीएला भला केहू
हुकी हुकी के लोरवा पीएला भला केहू
कब तक दरदिया के सुसुकि दबाईं। आईं....॥

लाखीं लाज बरति के दुनिया अन्हार बा
माई माई कही के केहू ना बोलनहार बा
बिनती में बोलत बानीं दुख पतिआईं। आईं..॥

जलवा के रहिया से होला काहे देर हो
थोरिके बिनितिया के समुझऽ ना ढेर हो
सभका घटिया जाईंला त हमरो हो आईं। आईं....॥
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लेखक परिचयः
नाम: विद्या शंकर विद्यार्थी
C/o डॉ नंद किशोर तिवारी
निराला साहित्य मंदिर बिजली शहीद
सासाराम जिला रोहतास (सासाराम )
बिहार - 221115
मो. न.: 7488674912

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