बरगद के फेड़ - डाo उमेशजी ओझा

सुमेरन मुखिया, रोज सबेरे आ सांझी के गाँव के खरिहान में बईठल सोचत रहस कि गाँव के लोग खातिर कवन अईसन काम कईल जाव जवना से गावँ के भलाई होखो। बड़ी दिन तक सोचत रहले, बाकी कवनो आखिरी फैसला प ना पहुच पावत रहले। एक दिन सुमेरन खरिहान में बईठल रहले तले सुदामा भी उनका लगे पहुच गईले।

"का हो मुखिया जी! ढेर दिन से देखत बानी कि रउरा कुछ सोच रहल बानी, का बात बा? कही कुछ हमरा लायक होखे त ........., हम राउर कुछ मदद क दिही?"

"ए सुदामा काका! बात सही कहत बानी, हम सही मे सोचत बानी, बाकी नतीजा प नईखी पहुच पावत । हम सोचत बानी की गावँ के लोग खातिर कवन काम कईल जाव, जवना से गाँव के सभ लोग के कुछ नया आ आराम दायक होखो।

"बस अतने, आ हतना दिन से परेशान बानी, अरे कहावत सुनले बानी, जंहा फेड़ ना रुख, ओहिजा रेड प्रधान, मतलब समझनी।"

"अरे ना काका, रउरा का बुझवल बुझावत बानी हमरा समझ मे नईखे आवत।"

"ए मुखिया जी!, गावँ में आपन नजर दउराई, कही कवनो बगइचा नईखे, हमनी के काहे ना मिलके एगो बगइचा लगा दिही जा, जवना से गावँ आ बाहर से आवे वाले लोग के सुस्ताए के एगो ठिकाना, छाँव मिल जाई, अगर फलदार लगा दिहिजा त फलों खाए के मिली।"

"ह काका बात में त दम बा, सोचत बानी कि कईल का जाउ ? एह में तहरो हमार साथ देबे के पड़ी।"

"ठीक बा मुखिया जी जब रउरा खोजब हमारा के अपना साथे पाइब।"

सुमेरन सोचे में लाग गईले, आखिर में फैसला कईले की सबसे बढ़िया बरगद के फेड़ होई। एकर कईगो शाखा हो जाली स, आ घन पतई भी होला जेकरा से राहगीर के बढ़िया छाँव मिली आ गाँव के भी लोग बरगद के छाँव में दुपहरिया बितअईहे।

बड़ी दिन सोचला समझला के बाद सुमेरन गाँव से बहरी आपन दस कठा के खेत के बीचों बीच बरगद के गॉछि लगा दिहले।

सुमेरन के एगो काम बढ़ी गईल, बरगद के फेड़ के आपन बेटा से भी बढिके सेवा करत रहले। दुनो बेर बाल्टी में पानी लेके फेड़ में डालत रहले। देखत देखत फेड़ बड़हन हो गईल। सुमेरन के एगो दोस्त बरगद के फेड़ के रूप में मिल गईल रहे।

सुमेरन अब रोज सबेरे आ सांझी के आपन दोस्त बरगद के छाँव में बईठ के फेड़ से आपन दुःख तकलीफ बतीआवत रहले । जइसे जइसे फेड़ बड़ होत गईल ओकर शाखा भी बढ़त गईले स। कईगो शाखा मूल के साथे साथ लटकल शुरू कर देहली स। बरगद के फेड़ अब अउरी घन आ विशाल हो गईल पूरे दस काठा में ओकर टहनी फइल गईलीसन। गाँव के सभ औरत मरद ओह फेड़ के छाव में बईठी के उ फेड़ के आपन दोस्त समझ के आपन दुःख तकलीफ बतिआवस। सुमेरन के छोड़ के केकरो ना बुझात रहे कि एह बरगद के असली जड़ शाखा कवन ह,। काहे कि फेड़ के सेवा करे आ ओकरा के बढ़ावे में उनकर केहू सहायता ना कईले रहे। सब शाखा एक दोसरा से बतिआवस कि ई गाँछि हमारे प खाड़ बा। बाकी सुमेरन खाली असली जड़ के पकड़ले रहन। उ जानत रहले ई हमार दोस्त आपन असली शाखा जड़ प ही खाड़ रही।

ढेर दिन तकले गाँव के लोग के दुःख तकलीफ सुनत सुनत बरगद के फेड़ में उदासी आवे लागल। शाखा सभ जमीन छोड़े लगलिस। अब असली जड़ प बरगद के फेड़ टिकल रहे। उहो ढेर दिन तक ना टिक पावल। सुमेरन के लाख कोशिश कईला के बाद भी पूरा फेड़ जमीन छोड़ के उड़े लागल। बाकी सुमेरन, फेड के मूसली जड़ के ना छोडत रहले। सभ शाखा से फेड़ के खाना मिलल बन्द हो गइल। मात्र मूसली जड़ के सहारा रह गईल रहे। सुमेरन काफी डेरा गईले आ सोचे लगले की ई का हो रहल बा। हमार सभ मेहनत बेकार हो रहल बा। चाहे जवन हो जाई हम आपन मेहनत बेकार ना जाये देब। एकर छाव हम बना के राखब। बाकी तब तकले बरगद के सभ शाखा असली जड़ के साथ छोड़ देले रही सन। सुमेरन के मेहनत काम आईल आ आखिर में उड़त बरगद के फेड के उ दुबारा जमीन में लगावे में सफल हो गईले। अब सुमेरन समझ गईल रहले फेड भी आदमी के तकलीफ से दुःखी होला । अबकी हाली उ शाखा के बात प ध्यान ना देत रहले आ बरगद के जतना शाखा निकले ओकारा के पकड़ी के जमीन के हवाले कर देस ओकारा प माटी चढ़ा देत रहले । जेह से सब शाखा के भरपूर मात्रा में भोजन मिले लागल। बरगद के छाव सुमेरन के पूरा खेत मे फैल गईल। एक गाँव से दोसर गाँव तकले उ बरगद के फेड़ सुमेरन के नाम से विख्यात हो गईल।

सही कहल गईल बा कि कवनो फेड के लगे जाके ओकरा के कोसल जाव त उ कुछ दिन में सूखे लागी। एह से ओकरा में हरियाली राखे खातिर ओकरा प ध्यान दिहल जरूरी बा। कवनो बगइचा होखो भा फेड ओकर एगो मेन रखवार होलन जे आपन जी जान से ओकर राखवरी करेलन पानी भोजन देबेलन , भले उ आपन सहायता खातिर कईगो रखवार राख लेश बाकी बगइचा ओकरे कहाला। जइसे कवनो कंपनी के संस्थापक के नाम से कंपनी मशहूर होला । ओसही आज उ बरगद के फेड़ सुमेरन के नाम से विख्यात बा।
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बरगद के फेड़ - डाo उमेशजी ओझालेखक परिचय:- नाम: डाo उमेशजी ओझा
पत्रकारिता वर्ष १९९० से औरी झारखण्ड सरकार में कार्यरत
कईगो पत्रिकन में कहानी औरी लेख छपल बा
संपर्क:-
हो.न.-३९ डिमना बस्ती
डिमना रोड मानगो
पूर्वी सिंघ्भुम जमशेदपुर, झारखण्ड-८३१०१८
ई-मेल: kishenjiumesh@gmail.com
मोबाइल नं:- 943134743

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