उठऽ उठऽ
ए बाबू
मुंह आपन खोलऽ!
तहार सोनु
हईं हम
कुछ त बोलऽ!!
लोग
माई के चुड़ी
फोड देलस!
ऊठ के देखऽ ना
ओकर मांग
धो देलस!!
तूं काहे
मौन बारऽ
लोगन के बरेजऽ।
माई बिआ
बेहाल भईल
ओकरा के सहेजऽ॥
ना चाहीं धन
ना चाहीं
पईसा के बोझा।
सरगऽ के
मिली सुख
रहऽ खाली सोझा॥
हे! भगवान
जगा दिहीं
बाबू के आई!
रोअत-रोअत
मर जाई
ना त हमार माई!!
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ए बाबू
मुंह आपन खोलऽ!
तहार सोनु
हईं हम
कुछ त बोलऽ!!
लोग
माई के चुड़ी
फोड देलस!
ऊठ के देखऽ ना
ओकर मांग
धो देलस!!
तूं काहे
मौन बारऽ
लोगन के बरेजऽ।
माई बिआ
बेहाल भईल
ओकरा के सहेजऽ॥
ना चाहीं धन
ना चाहीं
पईसा के बोझा।
सरगऽ के
मिली सुख
रहऽ खाली सोझा॥
हे! भगवान
जगा दिहीं
बाबू के आई!
रोअत-रोअत
मर जाई
ना त हमार माई!!
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लेखक परिचय:-
नाम - दिलीप कुमार पाण्डेय
बेवसाय: विज्ञान शिक्षक
पता: सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
मूल निवासी -अगौथर, मढौडा ,सारण।
मो नं: 9707096238
नाम - दिलीप कुमार पाण्डेय
बेवसाय: विज्ञान शिक्षक
पता: सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
मूल निवासी -अगौथर, मढौडा ,सारण।
मो नं: 9707096238
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