हिन्दी हिन्दी उहो क़हत हौ
हिन्दी गाई खोरी में।
कबले बनी राष्ट्र के भाषा
न कबौं सुनाई खोरी में॥
भाषा विकास के कूल्हि रूपिया
भेंट चढ़ाईं खोरी में॥
हिन्दी ला बस काम करी ना
बात बनाई खोरी में॥
उत्तर से दक्खिन के जतरा
घूम रहल बा खोरी में।
पोता रहल बा करिखा सगरों
फेसबुकियाई खोरी में॥
आपन काम बनावे खातिर
बात बनाई खोरी में।
झूठ मूठ के करिया उज्जर
खूब फैलाईं खोरी में॥
मलाई वाली कुरसी खातिर
गैंग बनाई खोरी में।
थेथरई के नवका चक्कर
खूब चलाई खोरी में॥
साँझ अवध के सुबहे बनारस
फेर बताईं खोरी में।
भोजपुरी आ अवधी वाला
लूर सिखाई खोरी में॥
राजभाषा के राष्ट्रभाषा क
ताज पेन्हाई खोरी में।
हिन्दी बने विश्व के भाषा
जुगत लगाई खोरी में॥
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हिन्दी गाई खोरी में।
कबले बनी राष्ट्र के भाषा
न कबौं सुनाई खोरी में॥
भाषा विकास के कूल्हि रूपिया
भेंट चढ़ाईं खोरी में॥
हिन्दी ला बस काम करी ना
बात बनाई खोरी में॥
उत्तर से दक्खिन के जतरा
घूम रहल बा खोरी में।
पोता रहल बा करिखा सगरों
फेसबुकियाई खोरी में॥
आपन काम बनावे खातिर
बात बनाई खोरी में।
झूठ मूठ के करिया उज्जर
खूब फैलाईं खोरी में॥
मलाई वाली कुरसी खातिर
गैंग बनाई खोरी में।
थेथरई के नवका चक्कर
खूब चलाई खोरी में॥
साँझ अवध के सुबहे बनारस
फेर बताईं खोरी में।
भोजपुरी आ अवधी वाला
लूर सिखाई खोरी में॥
राजभाषा के राष्ट्रभाषा क
ताज पेन्हाई खोरी में।
हिन्दी बने विश्व के भाषा
जुगत लगाई खोरी में॥
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नाम: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
संपादक: (भोजपुरी साहित्य सरिता)
इंजीनियरिंग स्नातक;
व्यवसाय: कम्पुटर सर्विस सेवा
सी -39 , सेक्टर – 3;
चिरंजीव विहार , गाजियाबाद (उ. प्र.)
फोन : 9999614657
ईमेल: dwivedijp@outlook.com
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ब्लॉग: http://dwivedijaishankar.blogspot.in
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