देवरा नादानवा - सुरेश कांटक

चइत में सुतनी अँगनवा ए रामा, देवरा नादानवा
अचके में बनल जवानवा ए रामा, देवरा नादानवा

नीनीया में भरमल मन ब उराइल
हउवे देवर वा ना तनिको बुझाइल
कइलस अइसन घटनवा ए रामा, देवरा नदानवा

खुलली नजरिया त झटके पराइल
पियवा के भके रहनी देवरा लजाइल
पियवा के देहब का बयानवा ए रामा, देवरा नदानवा

कइसे कहब ऊ त नाहि पतिअइहें
धोबिया ज इसन दोष सीता के लगइहें
कइसे मनाइब उनुकर मनवा ए रामा, देवरा नदानवा

घर वा में छोड़ि नाहि ज इते बिदेसवा
नजर से देखीतीं ना सहितीं कलेसवा
नीक नाहि लागेला भवनवा ए रामा, देवरा नदानवा

कांटक बताइ दीह मोर मजबूरी
हमरा के छोड़ि गइल करे मजदूरी
कइसन अकेल के जीवनवा ए रामा, देवरा नदानवा
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सुरेश कांटक - मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान लेखक परिचयः
नाम: सुरेश कांटक
ग्राम-पोस्ट: कांट
भाया: ब्रह्मपुर
जिला: बक्सर
बिहार - ८०२११२

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