जमीन पे नभ से उतर के आ गइलन। 
सफर के नाम कुछ कर के आ गइलन॥
 
ख्वाहिश रहे फूलन के खुश्बू के।
झोली में काँटे भर के आ गइलन॥
 
मन में तमन्ना बा अमर होखे के।
सभकरा नजर में मर के आ गइलन॥
 
जियते आपन मजार बनावे बदे।
उजाड़ कवनो छप्पर के आ गइलन॥
 
जवने के रक्षा रहल उनुके जिम्मा।
ओही क्यारी के चर के आ गइलन॥
 
उड़ानो कल्पना के अब का होई।
जब पंख गीत के कतर के आ गइलन॥
 
चाहत में गजल के थक के पहिलहीं
धर्मशाला में ठहर के आ गइलन॥
 
जवन शब्द बाँचल रहे ‘आग्नेय’ के।
उहो ऊ डीठारे हार के आ गइलन॥
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सफर के नाम कुछ कर के आ गइलन॥
ख्वाहिश रहे फूलन के खुश्बू के।
झोली में काँटे भर के आ गइलन॥
मन में तमन्ना बा अमर होखे के।
सभकरा नजर में मर के आ गइलन॥
जियते आपन मजार बनावे बदे।
उजाड़ कवनो छप्पर के आ गइलन॥
जवने के रक्षा रहल उनुके जिम्मा।
ओही क्यारी के चर के आ गइलन॥
उड़ानो कल्पना के अब का होई।
जब पंख गीत के कतर के आ गइलन॥
चाहत में गजल के थक के पहिलहीं
धर्मशाला में ठहर के आ गइलन॥
जवन शब्द बाँचल रहे ‘आग्नेय’ के।
उहो ऊ डीठारे हार के आ गइलन॥
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