चइत महीनवा - सुरेश कांटक

पियवा बनवलें जोगीनिया ए रामा
चइत महीनवा

भोरे भोरे सँगवा में क इनी कटनिया
बोल बतियाइ के मेटवनी खटनिया
देखि देखि चहकल चननिया ए रामा ,
चइत महीनवा

गधबेर वा ले पिया बोझवा ढोववलें
दुलुकी में द उरा के गरमी छोड़वलें
चानामामा उगलें खरिहनिया ए रामा ,
चइत महीनवा

गतर गतर टूटे घर वा में अइनी
चुल्हवा के लेखा ज इसे मनवा धुँअइनी
चरखी भ ईल जिनगनिया ए रामा ,
चइत महीनवा

तवेला सरुजवा त छँहवा लुक ईनी
खरची के फिकिरी में सगरो पर ईनी
सपना देखावेले रयेनिया ए रामा ,
चइत महीनवा

कांटक जिनिगिया पसेनवा में डूबल
रेंगनी के कँटवा प नीनीया बा झूमल
जानतानी केकर ह करनिया ए रामा ,
चइत महीनवा
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सुरेश कांटक - मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान लेखक परिचयः
नाम: सुरेश कांटक
ग्राम-पोस्ट: कांट
भाया: ब्रह्मपुर
जिला: बक्सर
बिहार - ८०२११२

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