जिनगी से - आर. डी. एन. श्रीवास्तव

बहा देलू सोना, बचावे लू पानी।
कवन भोर सपना देखावेलू रानी।।

गदहा क पीठ पर बानर सवार बा
का देखी रोगिन क बैदे बेमार बा
काने से दूनो बहिर बाने हाकिम
जे साँच कहे ऊ झुट्ठा गँवार बा
खूने-पसीना से सींचेलें तब्बो
करेलें किसानी आ पीटेले पानी।
कवन भोर सपना देखावेलू रानी।।

कब्बो संगतियन से भेंट तू कराव
किस्सा कहनई से मन भरमाव
पारी तहार अब बल्ला सम्भार
बिसरल पिरितिया के किरिया धराव
मनवो हमार तब भींज-भींज जाला
रोआवेलू कहि-कहि के बीतल कहानी।
कवन भोर सपना देखावेलू रानी।।

ऊ माई के अँचरा ऊ दादा के छाता
उमिरि ऊहो जब किछु नाहीं सोहाता
जगावल ऊ अँखियन में सूतल सपनवा
लगे कई जनमन के बिछुड़ल बा नाता
ऊ मूँगा लिलरवा ऊ सोना चेहरवा
इ हो देख माथे पर पसरल बा चानी।
कवन भोर सपना देखावेलू रानी।।
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R D N Shrivastava, भोजपुरी कविता, भोजपुरी साहित्य, भोजपुरी साहित्यकोश, Bhojpuri Poem, Bhojpuri Kavita, Bhojpuri Sahitya, Bhojpuri Literature, Bhojpuri Sahityakosh, Bhojpuri Magazine, भोजपुरी पत्रिका, Maina, ंमैना लेखक परिचय:-
नाम: आर डी एन श्रीवास्तव
जनम: 10 दिसम्बर 1939
जनम थान: ग्राम - बैरिया, पो - रामकोला
जनपद कुशीनगर उत्तर प्रदेश
शिक्षा: एम ए (अंग्रेजी साहित्य)
संप्रति: प्रधानाचार्य (सेवानिवृत्त)
रचना: थाल में बाल, लेट द विण्डो बी ओपेंड (अनुबाद) आदि
संपर्क: जी - 3/22, रेल विहार फेज - 2
राप्तीनगर फेज - 4, चरगावाँ, गोरखपुर
मो नं: 9451518429, 7704029571

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