डर के कहानी
कबो खुशी ना दी
डेरवइबे करी
ओह दशा में
कहीं/कवनो ओठ पर
लउकी मुस्की
तऽ मन अगरइबे करी।
अपने जरऽ के
जरावल काम ह
माचिस के तिल्ली के
अइसने कुछ कहानी ह
हमरा टोला के
रउरा दिल्ली के।
कुछ लोग ढेर हीरो बनेला
खाली ईहे सोच के
कि ऊ केहू के भरम उतार दी
बल के गुमान एतना
कि केहू का करी
ऊ तऽ केहू के मार दी।
दसा देख के
मन मसोसे लागेला
हिया में
बेफाँट के विचार जागेला
कि डर के जीअला से
आ शान से मुअल
पूजनीय हऽ
बात कवनो होखे कुकुर के जतीये दयनीय हऽ।
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कबो खुशी ना दी
डेरवइबे करी
ओह दशा में
कहीं/कवनो ओठ पर
लउकी मुस्की
तऽ मन अगरइबे करी।
अपने जरऽ के
जरावल काम ह
माचिस के तिल्ली के
अइसने कुछ कहानी ह
हमरा टोला के
रउरा दिल्ली के।
कुछ लोग ढेर हीरो बनेला
खाली ईहे सोच के
कि ऊ केहू के भरम उतार दी
बल के गुमान एतना
कि केहू का करी
ऊ तऽ केहू के मार दी।
दसा देख के
मन मसोसे लागेला
हिया में
बेफाँट के विचार जागेला
कि डर के जीअला से
आ शान से मुअल
पूजनीय हऽ
बात कवनो होखे कुकुर के जतीये दयनीय हऽ।
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नाम - केशव मोहन पाण्डेय
2002 से एगो साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ के संचालन।
अनेक पत्र-पत्रिकन में तीन सौ से अधिका लेख, दर्जनो कहानी, आ अनेके कविता प्रकाशित।
नाटक लेखन आ प्रस्तुति।
भोजपुरी कहानी-संग्रह 'कठकरेज' प्रकाशित।
आकाशवाणी गोरखपुर से कईगो कहानियन के प्रसारण, टेली फिल्म औलाद समेत भोजपुरी फिलिम ‘कब आई डोलिया कहार’ के लेखन अनेके अलबमन ला हिंदी, भोजपुरी गीत रचना.
साल 2002 से दिल्ली में शिक्षण आ स्वतंत्र लेखन.
संपर्क –
तमकुही रोड, सेवरही, कुशीनगर, उ. प्र.
kmpandey76@gmail.com
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