बिटिया के महतारी - जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

अजुवो ले महतारी देखेलिन
बिटिया के पीठ
खोजेली/ कवनों उबटल
गोहिया के चीन्हा
झंउसाइल चमड़ी
ससुरे से नइहर आइल
बिटिया झंखेली
माई के एगो अइसन सोच पर।

बेटी के खोंइछा रोप लेनी
अपने फांड मे
खोजेलीं ओहमे रूपिया
नापेनी ओहीसे बिटिया के
सुख दुख के दिन।

नाही ओराले उनुकर अकुलाहट
कुरेद कुरेद के
एकहक गो बात
दिन–रात के रहन
अदहन से तेल–तासन तक
हरदी के गाँठ से
पौदीना के मिलला तक।

लागि जाला कई दिन
संतुष्ट होखे मे
महतारिन के अबहिनों।
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Jai Shankar Prasad Dwivedi, भोजपुरी कविता, भोजपुरी साहित्य, भोजपुरी साहित्यकोश, Bhojpuri Poem, Bhojpuri Kavita, Bhojpuri Sahitya, Bhojpuri Literature, Bhojpuri Sahityakosh, Bhojpuri Magazine, भोजपुरी पत्रिका, Maina, ंमैनालेखक परिचय:-
नाम: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
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इंजीनियरिंग स्नातक;
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