आइल बसंत - डॉ राधेश्याम केसरी

आइल बसंत, भकुआइल बसंत,
सतरंगी चुनर, सरमाइल बसंत।

रंगवा लगवले,चमेलिया क गाल,
हमके बतावे, तेनंडुरॉईल बसंत।

जेकरा के खोजे,पिया के पिरतिया।
अंखिया में ओकरा लुकाइल बसन्त।

अगिया लगा के ,पलसवा जे भागल।
लोरिया के संगे, बूताईल बसंत।

भर-भर आँसुवन से, अंखिया लोराइल।
मंठा अस जिनगी,मथाइल बसंत।

बोरे के बोरन,न खाये के निक बा।
आवते टिकोरा, पिटाइल बसंत।

पुवा भा पुड़ी,न कब्बो देखाइल,
सतुवा क संगे, घोराइल बसंत।

आपन गरीबी हम,कइसे बताई?
बथुवा के संगे,खोटाइल बसंत।

भरसक, फगुआ में दुरे रहिला।
रोटी में आपन,भुलाइल बसंत।

नेहिया,निगोड़ी करेजवा में बेथे।
रो रो के अब्बे, चुपाइल बसंत।
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लेखक परिचय:-
नाम: डॉ राधेश्याम केसरी
सम्पर्कसूत्र: 9415864534
rskesari1@gmail.com
ग्राम,पोस्ट - देवरिया
डिस्ट्रिक्ट-ग़ाज़ीपुर,
उत्तर प्रदेश, पिन-232340

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