ढोल मंजीरा खानी जंगल
बाज रहल बा
आबादी के मौन में
भारी कोलाहल बा।
समय के माथ पs चिन्हासी
चिंता के लउके
घर के भीतर बाहर सगरो
राजनीति के हल्ला-गुल्ला।
धरम कबड्डी खेल बनल बा
हिन्दू-मुस्लिम के रट मारत
दउरस पंडित-ज्ञानी मुल्ला
केहू जतन करे कुछ नाहीं
सब केहू बनल पनसोखा
ओका बोका तीन तड़ोका।
मुचकाईं ईमान धरम के
हड्डी गुड्डी
आईं चलीं खेलल जाव
चेत कबड्डी चेत कबड्डी।
.....................................................
बाज रहल बा
आबादी के मौन में
भारी कोलाहल बा।
समय के माथ पs चिन्हासी
चिंता के लउके
घर के भीतर बाहर सगरो
राजनीति के हल्ला-गुल्ला।
धरम कबड्डी खेल बनल बा
हिन्दू-मुस्लिम के रट मारत
दउरस पंडित-ज्ञानी मुल्ला
केहू जतन करे कुछ नाहीं
सब केहू बनल पनसोखा
ओका बोका तीन तड़ोका।
मुचकाईं ईमान धरम के
हड्डी गुड्डी
आईं चलीं खेलल जाव
चेत कबड्डी चेत कबड्डी।
.....................................................
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें