सटत रोज पेवना - जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
पगे पग ठोकर समय के नचवना कइसन जिनगी सटत रोज पेवना॥ घुमल अस चकरी पलिहर जोताइल नमियो ना खेते बीया बोआइल उमेदे से अंखुवा , फोरी न भुंइयाँ इह...
पगे पग ठोकर समय के नचवना कइसन जिनगी सटत रोज पेवना॥ घुमल अस चकरी पलिहर जोताइल नमियो ना खेते बीया बोआइल उमेदे से अंखुवा , फोरी न भुंइयाँ इह...
केहू आज दिल से भुलाई त कइसे हिया से कहीं दूर जाई त कइसे। कजरवा से चाहे लिखे प्रेम पोथी कि लोरवा से पाती लिखाई त कइसे। बड़ी सांकरी प्र...
चिथरा पहिर घुसरि पुअरा में देखत सुघर सोनहुल सपना ऊसर बंजर परती धरती सींचि-सींचि लोहू से अपना हम दुनिया के सरग बनवलीं नंदन वन अइस...
रोवाँ झारेला जब जब चुनाव आवैला तरवा चाटैं धीरे धीरे सुहरावैला हार जीत से कउनो मतलब नाहीं राखै जेतना भी लह जाला ठाट से लहावैला गाँव से...
(सब लड़िका क्लास के एगो कोना में बिटोराइल बा, दुगो बेंच गिरल बा चिरकुटवा ओहिमें दबाके माई-माई चिचियाता, लबेदा सुथनी एकदोसरा के झोंटा नवा के...