करे अगवानी कोइल बगिया में गाइके
भौंरा गुनगुनाये डाली फूलवन पर जाइके।
रहिया बोहारे ली बसन्ती ई बयरिया
सरसों संवारे पीयर चदरा बिछाइ के।
गोहुंवा के बलिया करेला अठखेलिया
तीसीया मगन नीला गोटवा लगाइके।
सपना में पिया जब लउके आधी रतिया
तन-मन जरावे बिरहिन के जगाइके।
मस्ती में गावे सभे गाँव के छोकरवा
ढोल, मृदंग, झाँझ अउरी डफरा बजाइके।
मोहक सुगन्धवा से भरि दिहले बगिया
अमवा के मोजरा से रस बरसाइके।
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रहिया बोहारे ली बसन्ती ई बयरिया
सरसों संवारे पीयर चदरा बिछाइ के।
गोहुंवा के बलिया करेला अठखेलिया
तीसीया मगन नीला गोटवा लगाइके।
सपना में पिया जब लउके आधी रतिया
तन-मन जरावे बिरहिन के जगाइके।
मस्ती में गावे सभे गाँव के छोकरवा
ढोल, मृदंग, झाँझ अउरी डफरा बजाइके।
मोहक सुगन्धवा से भरि दिहले बगिया
अमवा के मोजरा से रस बरसाइके।
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लेखक परिचय:-
नाम: फतेहचन्द ‘बेचैन’
जनम: 20 जनवरी 1949
जनम थान: डूहा, डाखाना - डूहा बिहरा
जिला – बलिया उप्र
जनम: 20 जनवरी 1949
जनम थान: डूहा, डाखाना - डूहा बिहरा
जिला – बलिया उप्र
अंक - 106 (15 नवम्बर 2016)
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