भूलि के दुनिया तू नभ में उङान भरेलू।
ए पंछी काहें एतना गुमान करेलू॥
केतनो ऊपरी उङबू आवे के परी नीचे
मोह-माया के डोरी तोहरा के खींचे।
छणिक सुख पे तू सीना उतान करेलू।
ए पंछी काहें एतना गुमान करेलू॥
बगइचा में लागि जाला जब मीठ फल
रस चूसि 'सावन' कुहुकेलू हर पल।
'हरि' के भूलि भ्रम के रसपान करेलू
ए पंछी काहें एतना गुमान करेलू॥
तोहरे देहियाँ में सगरी संसार बसेला
तोहर इतराइल देखि संसार हँसेला।
मोह में अनमोल जिनगी जियान करेलू
ए पंछी काहें एतना गुमान करेलू॥
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ए पंछी काहें एतना गुमान करेलू॥
केतनो ऊपरी उङबू आवे के परी नीचे
मोह-माया के डोरी तोहरा के खींचे।
छणिक सुख पे तू सीना उतान करेलू।
ए पंछी काहें एतना गुमान करेलू॥
बगइचा में लागि जाला जब मीठ फल
रस चूसि 'सावन' कुहुकेलू हर पल।
'हरि' के भूलि भ्रम के रसपान करेलू
ए पंछी काहें एतना गुमान करेलू॥
तोहरे देहियाँ में सगरी संसार बसेला
तोहर इतराइल देखि संसार हँसेला।
मोह में अनमोल जिनगी जियान करेलू
ए पंछी काहें एतना गुमान करेलू॥
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लेखक परिचय:-
नाम: सुनील चौरसिया "सावन"
अमवा बाजार,रामकोला,कुशीनगर,उ.प्र.
मो: 9044974084,8423004695
अमवा बाजार,रामकोला,कुशीनगर,उ.प्र.
मो: 9044974084,8423004695
अंक - 102 (18 अक्तूबर 2016)
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