निशा राय कऽ तीन गो कबिता

कलयुग कऽ रंग


चाहे घर होखे चाहे गाँव होखे,
चिहे जिला देश विदेश होखे,
हर जघे एके बाजा बजावत बा,
कलयुग आपन रंग देखावत बा।
धन खातिर पूत कसाई भईल,
सास बहू के गला दबावत बा,
धन खातिर बा भाई-भाई बैरी
जान लेवे खातिर दउरावत बा।
कलयुग आपन रंग देखावत बा।
इ हिन्दू हवे,इ ह मुसलिम,
इ सिक्ख,इसाई,यहूदी हवे,
धर्म के नाम पर उत्पात मचल,
आदमी आदमी के मुआवत बा।
कलयुग आपन रंग देखावत बा।
गढ़ले प्रभु जी सबके एके खाँ
एके हाड़ मास लगावत है
सब जीव एके प्रभु के पुत्र हैं
काहें आदमी भेद लगावत बा।
कलयुग आपन रंग देखावत बा।
एक दिन इ जंग हो जाइ खतम, 
सबका मन से मिट जाई भरम,
सब पंछी लेखा जहाँ चाही रही
औउरी प्रेम के शीतल बयार बही
इ सोच के मन बहलावत बा।
कलयुग आपन रंग देखावत बा।
कलयुग आपन रंग देखावत बा।।
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पनिया में डूबल बा


पनिया में डूबल बाटे 
गलिया,सड़किया,त
गाँव के परधान के 
दुवरवा भरात बा।

आ इन्दरा आवास 
योजना के अन्तरगत 
उनका गइया,भइसिया 
के छप्पर छवात बा।

ग्राम सड़क योजना में 
मन्तरी के सन्तरी के
भाई भतीजा भगिना 
के बिल्डिंग पिटात बा।

आ आंगनबाड़ी केन्द्र के 
बा हाल त बेहाल बाकिर,
एकरा से जुड़ल 
सब लोग खुशहाल बा।

लइकन के पोसाहार से 
गइया पोसात बीया
आइरन के गोली अब 
भइसियन के दियात बा।

कोटा के तेल 
बिक जात बा 
बजरिया में
गाँव के गरीबन के त 
पानिये बटात बा।

करी जे विरोध 
उ पहुँचावल जाई थाना पर
केहू के करनी 
केहू के मूड़ी पर मढ़ात बा।

करब चापलूसी त 
सवर जाई सात पुश्त
एही में त सबका अब 
फायदा बुझात बा।

आवता चुनाव फेर 
गीराताटे इटा गिट्टी
आ फेर जीत जइहे 
इ हमरा बुझात बा।।

पनिया में डूबल बाटे 
गलिया सड़किया 
त गाँव के परधान के 
दुवरवा भरात बा।।
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सफलता आ उन्नति के राज


खादी के कुर्ता के
मिजाज आज बदलल बा
सफलता आ उन्नति के
राज आज बदलल बा।
फेल जे होगइलीं 
सलाना इम्तहान में
उतर जाईं छात्रसंघ के
चुनाव मैदान में।
तन पे हो कुर्ता 
और चप्पल हो पाँव में
कान्ह पर झोरा ले
निकल पड़ीं गाँव में।
हाथ गोड़ जोड़ के
जीत जाइब इलेक्शन
उपर के लोगवा से
हो जाई कनेक्शन।
फिर देखीं कइसे 
होत बा कमाल
टापर हो या गोबर
सब करिहें सलाम।
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लेखक परिचय:-


नाम: श्रीमती निशा राय
पता: रामअवध नगर
पो.-जंगल चौरी,खोराबार 
जि.- गोरखपुर,पिन-273010 
उत्तरप्रदेश
मो न.: 8542898686

अंक - 95 (30 अगस्त 2016)

2 टिप्‍पणियां:

  1. दिल से निकलल कविता ही समाजिक तना बना के सरोकार कर सकता ।।
    प्रणाम निशा राय जी ,
    बहुत ही सुंदर कविता ।।

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