1.
सभे परेसान बाटे कहीं-न-कहीं से
केहू धनवान बा त बाटे निसन्तानी
देवे वाला नइखे केहू मुअलो पर पानी
जीवन कठिन बाटे चलला सही से
--------------------------------------------
2.
काहें मन करेल गुमान हो, बिहान देखि पइब की नाहीं
सपना समान बा जहान के बजरिया
सम्भरि के धर पांव देखि के डगरिया
नाही बाटे कवनो ठेकान हो, बिहान देखि पइब की नाहीं
--------------------------------------------
सभे परेसान बाटे कहीं-न-कहीं से
केहू धनवान बा त बाटे निसन्तानी
देवे वाला नइखे केहू मुअलो पर पानी
जीवन कठिन बाटे चलला सही से
--------------------------------------------
2.
काहें मन करेल गुमान हो, बिहान देखि पइब की नाहीं
सपना समान बा जहान के बजरिया
सम्भरि के धर पांव देखि के डगरिया
नाही बाटे कवनो ठेकान हो, बिहान देखि पइब की नाहीं
--------------------------------------------
3.
उपरा डिबल बाटे बाज, नाज मति कर.. छोड़.. चिरई
कबले छिपल अपने खोतवा में रहबू
केकरा से मनवां के दुखवा के कहबू
छुटि जाई धरती के राज, नाज मति कर.. छोड़.. चिरई ।
--------------------------------------------
रामपति रसिया
अंक - 86 (28 जून 2016)
बहुत निक लागल रसिया जी के मुक्तक। आध्यात्मिक विचार के मुक्तक कबो कबो पढ़े के मिलेला। आभार मैना।
जवाब देंहटाएंधन्नैबाद संतोष जी
हटाएंरसिया जी के गीत हम सामने से सुनले बानि गवाँर जी के पूण्यतिथि के अवसर पर मन भाव बिभोर हो गया था
जवाब देंहटाएंरसिया जी के गीत हम सामने से सुनले बानि गवाँर जी के पूण्यतिथि के अवसर पर मन भाव बिभोर हो गया था
जवाब देंहटाएं