आयल मधुमास कोयलिया बोले.
लाल लाल सेमरु पलास बन फूले
सुमनो की क्यारी में भँवरा मन डोले,
किसलय किशोरी डारन संङ झूले
महुआ मगन हो गन्ध द्वार खोले.
आयल मधुमास कोयलिया बोले .
सुगन्धित पवन भइ चलल होले होले
ढोलक मंजिरा से गूँजल घर टोले
रंग पिचकारी मिल करत किकोले
छनि छनि भंग सब बनल बमभोले.
आयल मधुमास कोयलिया बोले .
उड्ल गुलाल लाल भर भर झोले
मीत के एहसास बढल मन के हिडोले
धरती आकाश सगरे प्रेम रस घोले
मख्खियन के झुण्ड पराग के टटोले.
आयल मधुमास कोयलिया बोले .
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अंक - 82 (31 मई 2016)
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