आयल मधुमास कोयलिया बोले - अभय कृष्ण त्रिपाठी "विष्णु"

आयल मधुमास कोयलिया बोले. 
लाल लाल सेमरु पलास बन फूले 
सुमनो की क्यारी में भँवरा मन डोले, 
किसलय किशोरी डारन संङ झूले 
महुआ मगन हो गन्ध द्वार खोले. 
आयल मधुमास कोयलिया बोले . 

सुगन्धित पवन भइ चलल होले होले
ढोलक मंजिरा से गूँजल घर टोले
रंग पिचकारी मिल करत किकोले 
छनि छनि भंग सब बनल बमभोले. 
आयल मधुमास कोयलिया बोले . 

उड्ल गुलाल लाल भर भर झोले 
मीत के एहसास बढल मन के हिडोले
धरती आकाश सगरे प्रेम रस घोले 
मख्खियन के झुण्ड पराग के टटोले. 
आयल मधुमास कोयलिया बोले .
-------------------------------------------
अंक - 82 (31 मई 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.