मनोज भावुक जी कऽ दू गो कबिता

संस्कृति

एक ओर
कुकुरमुत्ता नियर फइलल
भकचोन्हर गीतकारन के बिआइल
कैसेटन में
लंगटे होके नाचत बिया
भोजपुरिया संस्कृति।
(……जइसे ऊ कवनो 
कोठावाली के बेटी होखे…
भा कवनो मजबूर लइकी के 
गटर में फेंकल 
नाजायज औलाद होखे।)

दोसरा ओरे
लोकरागिनी के किताब में कैद भइल
भोजपुरिया संस्कृति के दुलहिन के
चाटत बिआ दीमक 
सूंघत बा तेलचट्टा
आ काटत बा मूस।

एह दूनू का बीचे
भोजपुरी के भ्रम में 
हिन्दी के सड़ल-खिचड़ी चीखत 
आ भोजपुरिये के जरल भात खात 
मोंछ पर ताव देत
'मस्त-मस्त' करत
ठाढ़ बा, भोजपुरिया जवान।
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भोजपुरी के दुर्भाग्य

राउर चिट्ठी पढ़ के
मन बहुत खुश भइल।
रउरा जापान में वैज्ञानिक बानी।

जापान जाइयो के ,
रउरा भोजपुरी याद बा ?

लोग त दिल्ली जाते
भोजपुरी भुला जाला !

रउरा वैज्ञानिक बानी,
माडर्न टेक्नोलाजी के विद्वान
तबो रउरा भोजपुरी याद बा ???

लोग त चपरासी बनते
भोजपुरी भुला जाला ।

पता ना लोग
अपना माई-बाप के
के तरे याद राखत होई?
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लेखक परिचय:-

नाम: मनोज भावुक
पहिले युगांडा अउरी लन्दन में इंजिनियर
अब मीडिया/टीवी चैनल और फिल्मों में सक्रिय
रचना: तस्वीरी जिंदगी के 
अउरी 
चलनी में पानी
संपर्क - EMAIL- manojsinghbhawuk@yahoo.co.uk
Mob - 09971955234
अंक - 82 (31 मई 2016)

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