माई रे हम जेल जाइब - अभय कृष्ण त्रिपाठी "विष्णु"

माई रे हम जेल जाइब कुछ अउर नाही तऽ नेता ही बन जाइब, 
माई रे हम जेल जाइब. 

बचपन में हम ध्यान ना दिहिलीं एक से बढ़के खेला हम कइलीं, 
कसम खिया ले हमसे माई ईऽ गलती अब ना दोहराईब. 
माई रे हम जेल जाइब. 

पढ़ली लिखिलीं बीए पास केहु ना डललस हमके घास, 
का करेब हम नौकरी करके ऐकौ धेला बचा ना पाइब. 
माई रे हम जेल जाइब. 

बाबू कहले धन्धा कइलीं सब चिजीया में मिलावट कइलीं,
हमरो भी ईमान धरम बा इहै बात तोहके समझाइब. 
माई रे हम जेल जाइब. 

नेता बनके नाम कमाइऽब नाम कमाइब दाम कमाइऽब, 
जे ना मानी हमरा बात हम ओके मिट्टी में मिलाइब. 
माई रे हम जेल जाइब.
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अंक - 82 (31 मई 2016)

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