दुअरा पऽ शोभे फुलवरिया हो रामा, बोले कोइलरिया।
फूल के गमकवा से मातल कियरिया
शीतल सुगन्ध लई बहके बेयरिया
भँवरा खेलत बा घूमरिया होप रामा, बोले कोइलरिया।
मह-मह महकेली मातल महुइया
पात-पात चमकेली ढरकि मधुइया
आम के महँके मोजरिया हो रामा, बोले कोइलरिया।
सेमर परास झूमे धनि-धनि बगिया
अबीर गुलालवा के आवे अब रगिया
किसलय पऽ नाचेली अँजोरिया हो रामा, बोले कोइलरिया।
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लेखक परिचय:-
हरिद्वार प्रसाद ‘किसलय’
ग्राम – पो – राजपुर, बाया – दलीलपुर,
जिला – भोजपुर बिहार
अंक - 76 (19 अप्रैल 2016)
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