रामा चइत के निंदिया बड़ी बइरिनिया हो रामा
सुतलो बलमुआ; नाहीं जागे हो रामा॥1॥
सुतलो बलमुआ।
रामा गोड़ तोर लागीलें लहुरी ननदिया हो रामा
रचि एक; भइया तु जगावहु हो रामा॥2॥
रचि एक।
रामा भरि छीपा चनन रगरेले सोहागिन ए रामा
छींटि-छींटि; आपन पियवा जगावे ए रामा॥4॥
छींटि-छींटि।
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अंक - 76 (19 अप्रैल 2016)
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