मलिकाईन कऽ गियान बानी

एक जाना पुरान कागज खोज खोज के परेशान हो गईलन। ना मिलला पर अपना धरमावतार(मेहरारू) से पुछलें,
"कवन कागज हो चर चिचिरी पारऽलका?" 
"उ तऽ सबेरही काबारी का हाथे बेच देनीहऽ", खाना बनावत उत्तर देहली। 
अतने पर शांत ना भईली लगली कहे "ताहारा तऽ डिप्टी कईला का बाद कवनो काम नईखे। मोबाइल लेके बईठ जईबऽ लगबऽ लिखे। का लिखेलऽ राम जनिहें? पढ़े का बेरा तऽ दोल्हा पाति पत्ति कांटात आ गुल्ली टांड खेलत होईबऽ! अब चलल बारऽ लिखनी करे। का मिली ओह से बातावऽ? ई ना जे एगो गाय किन लेवेला; दूध तऽ भेंटाईत ?"
"जेने देखऽ टेम नाश! चाह का दोकान पर बत गिजन, बस में बत गिजन फलानवा के सरकार निमन चिलनवा के सरकार निमन! आरे निकमवा सऽ काम नईखे तऽ घर में पोछा लागाव सऽ, लडिकन के पढ़ाव सऽ, केहू का खेत में सोहनी करऽ सऽ लेकिन ओहन के बात मत बतिआवसऽ।"
"का बदले आला बा कबो कुत्तो के पोंछ सीधा भईल बा? चोर, बदमाश, हत्यारा, करजाखोर, स्वार्थी, खजानाखोर एकनीए का बले प्रजातंत्र चलऽता? का बदलल? पहिले रानी का पेट से राजा पायदा होत रहे अबही नेताईन का पेट से नेता? केहू लोहियावादी केहू गांधीवादी केहू नयावादी अगर बा तऽ अपना लाभ खातिर। टिकट देवे का पहिले ओह क्षेत्र के जात के सर्वे कईल जाता। डाक्टर इंजिनियर कोटा से बनावल जाता। केहू का लगे सय बिगहा बा तऽ केहू गाछे का नीचे सुतऽता। अपना जात के हत्यारा साध लागऽता। बाहाली में नेताजी के बंशावली छा जाता!"

"एह से इ सब छोड़ऽ। गाय किनऽ दूध पिअऽ स्वस्थ रहऽ। मेहनत करबऽ बिना जोग के रोग भाग जाई।"
खाना लेके अपना पतिदेव का लगे गईली ताले उ सुत के सपना में बारात रहस--
"अब सब छोडही के परी सारा लेख तऽ रद्दी का भाव में बेचिए दिहलस कहीं गांहक मिलला पर हमरो के मत बेच देवे ओभर टाइम करे खातिर।"
"ऊठऽ आ ठूंसऽऽऽऽऽऽऽऽ"
के मधुर आवाज कान में परते हबरा के ऊठले
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लेखक परिचय:-

बेवसाय: विज्ञान शिक्षक
पता: सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
मूल निवासी -अगौथर, मढौडा ,सारण।
मो नं: 

9707096238
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1 टिप्पणी:

  1. भोजपुरी का उत्थान आ हमनी जस नव सिरिजनकारन के मंच देवेला भोजपुरिया जगत मैना के सदा ऋणी रही।

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