कुकुरबाझाव अवुरी नेतागिरी


कुकुरबाझाव मतलब कुकुरहट। कुकुरहट भोजपुरी भाषा के बाड़ा बढ़िया अवुरी ठेट शब्द हउवे। कुकुरहट के मतलब दुगो पार्टी के कुकुर लोग अगर जाहा जे एक दोसरा के सामने अईलख लोग की भोका-भोकी शुरू होई; ओकरा बाद एके तनी में लड़ाई काटाकुटी सब सुरु हो जाला। नेपाल के राजनीति में अवुरी हमरा गाँव के कुकुरहट में हम कौनो अंतर ना देखिला। जईसे देश में चारू ओरिया कुकुर कुकुरहट करे ला लोग ओइसे ही देश के नेता लोग देश भर कुकुरहट करत फिरे लोग। पुरुखन के कहावत झूठ नाहीए होला। भोजपुरी में बाड़ा बढ़िया एगो कहावत बा “जात-जात के भेदिया जाते के घर जाए, गाधाहा नेता कुकुर जात देख नारियाय”।

कुकुर के भी हमनी के मानव समाज में अलग ही ईज्जत अवुरी मान मर्यादा बा। नेपाल में कुकुर तिहार के दिन कुकुर लोग के पूजा कईल जाला त कबो कबो अईसन समय आवेला की एको गो लाठी भुइया ना गिरे। आपन नेपाल देश के नेता लोग के हालत भी कुछ अईसनके बा। कबो बिकास के नाम पर पूजा ला लोग त कबो भ्रस्टाचार के दोषी बनला पर एको लात भुईया ना गिरे। कुकुर लोग जईसे हडी के लोभी होखे ठीक नेता लोग ओइसे ही भोट खतिरा होखे लोग। अगर मिस्टेक से कौनो गलती हो गईल त कुता अवुरी नेता दुनु कट्बो करे लोग। कुता के काटल के रेबीज के सुई बाजार में मिल जाला पर नेता लोग के काटल के सुई ना मिले।
हमनी के देश में किसिम किसिम के कुकुर मिलेला लोग। घर के रखवारी करे वाला कुता, समाज में रह के सामाज के रखवारी करे वाला अवुरी गाव के रखवारी करे वाला। बाहरी कुकुर देखते झपट परेला लोग। ओइसे ही देश में बहुते किसिम के नेता लोग भी मिलेला लोग। कोई समाज के सत्यनाश करे ला त कोई गाव शहर के बर्बाद करे लोग त कोई देश के जानता अवुरी देश दुनु के लुटे लोग। फरक एतने होला की भले ही कुकुर लोग के एक दोसरा से ना पटत होखे पर मालिक अवुरी मानव जाती प्रति ईमानदार अवुरी बफादार जरुर होले। पर नेता लोग कुता लोग के ठीक उल्टा करतब करे ले। एक नम्बर के इमानखोर नेता लोग कहियो जानता के बफादार ना रहे लोग ना बा लोग अवुरी ना कहियो होई लोग।
लोग ठीके कहे ले की कुकुर के पोंछ कहियो सीधा ना होखे चाहे रउवा १२ बरिस उ लोग के पोछ में घिव या तेल काहे ना लगाई। अईसनके आपना देश के नेता लोग भी बा जे भी सरकार में आई लूटिये के खाई। सारा देश के राजनीति दल लोग के एक दूसरा से सौतेला भाई बहिन के नाता होखेला। ओइही से ह की एक दूसरा में कहियो ना पटे। एक दुसर के बुराई करेमे कहियो पीछे ना हटेला लोग। नेता के कुता कहे में कौनो फरक ना पड़े बाकिर कुता के नेता कहला से कुता लोग के ख़राब लागेला काहे की कुता संघ के हिसाब से भले उ लोग बेरा कुबेरा कुकुरहट/कुकुरबाझाव करे लोग पर ईमान के पाका होखे ला लोग।

-----------------------------------------------------------------------

लेखक परिचय:-

नाम : अशोक कुशवाहा
पता : गा.बि. स. भिस्वा - ३ पर्सा (नेपाल )
भोजपुरी अध्यन तथा अनुसंधान केन्द्र पर्सा जिल्ला के सह-संयोजक

-----------------------------------------------------------------------------
<<< पिछिला                                                                                                                          अगिला >>>

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.