लइकिन के जिनगी के साँच खङारत रितुराज जी के ई कबिता एगो लईकी से ओकर आवे वाला जिनगी कऽ बारे बतियावत बे। ई कबिता साफ-साफ देखावत औरी बतावत बे कि ओकर आवे वाला काल्ह कईसन बा औरी ओकरा से केवन-केवन असारा लगा के लोग बईठल बाँड़े।
जाए के बा दोसर देसवा
जहवाँ मिलिहे नाया संसार
जाए के बा दोसर देसवा।
माई बाबु के बा नाया अवतार
जाए के बा दोसर देसवा
सबके तू राखिय ख्याल
जाए के बा दोसर देसवा।
मन तबे ख़ुशी होई हमार
हसत बोलत रहबू उ देसवा
पिरितिया के नाया नाता मिली
उहे देसवा आपन कहाँ।
सुनS तारु ये बबुनी हमार
बबुनी करल करS हाली हाली कार (काज)
आदत उहो बनल रही अईसे
काहे की जाए के बा दोसर देसवा।
माई रूपी सास मिलिहे
बाबु रूपी मिलिहे ससुर
भाई रूपी देवर मिलिहे
बहिन रूपी ननदों आ
सबका से नेही मिलेम उहाँ के।
उहाँ रहन सहन फरका जे होई
सिखी जईहS बबुनी हमार
जाए के बा दोसर देसवा
सब होईये आपन उहवो
मनवा के जनि करिह उदास।
अंक - 32 (16 जून 2015)
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बबुनी रेवे रेवे जनि करS कार (काज)जाए के बा दोसर देसवा
जहवाँ मिलिहे नाया संसार
जाए के बा दोसर देसवा।
माई बाबु के बा नाया अवतार
जाए के बा दोसर देसवा
सबके तू राखिय ख्याल
जाए के बा दोसर देसवा।
मन तबे ख़ुशी होई हमार
हसत बोलत रहबू उ देसवा
पिरितिया के नाया नाता मिली
उहे देसवा आपन कहाँ।
सुनS तारु ये बबुनी हमार
बबुनी करल करS हाली हाली कार (काज)
आदत उहो बनल रही अईसे
काहे की जाए के बा दोसर देसवा।
माई रूपी सास मिलिहे
बाबु रूपी मिलिहे ससुर
भाई रूपी देवर मिलिहे
बहिन रूपी ननदों आ
सबका से नेही मिलेम उहाँ के।
उहाँ रहन सहन फरका जे होई
सिखी जईहS बबुनी हमार
जाए के बा दोसर देसवा
सब होईये आपन उहवो
मनवा के जनि करिह उदास।
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लेखक परिचय:-
नाम - प्रिंस रितुराज दुबे
अंडाल, दूर्गापुर, पश्चिम बंगाल
ई-मेल:- princerituraj@live.com
मो:- 9851605808
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