जयशंकर प्रसाद द्विवेदी जी कऽ तीन गो छंद

कुरसी बदे

अपना देशवा के हाल का बताईं गुरू।
एकरा रक्षा खातिर केकरा लग्गे जाई गुरू॥

उनका रहतब से अइसन ई आग लागल
मौत बेचे खातिर इंसान भइल पागल
रोजे अपहरण मरन होला खाली कुरसी बदे।
अइसन केतने खलिस्तानन के नाम हम गिनाई गुरू॥

उनके बुलट प्रूफ जाकिट मुबारक भइल
उ निरीहन के लेकिन संहारक भइल 
उ रोजे वाद चलावेलन खाली कुरसी बदे। 
अइसन केतने कमीसनन के नाम हम बताई गुरू॥ 

इहाँ से इज्जत अ नैतिकता के साया उठल
रथ के पहिया से मंदिर मस्जिद के माया उठल
एकरो मे केतनियों के जान गइल खाली कुरसी बदे।
ओकरा जांच खातिर कवन आयोग बैठवाई गुरू॥

उ रोजे विरोधी बनावत चलें 
जोड़ तोड़ के गणित बैठवात चलें 
रोजे कुकुर नियर लड़े खाली कुरसी बदे। 
अब नया कवन दल हम बनवाईं गुरू।
एकरा रक्षा खातिर केकरा लग्गे जाई गुरू ॥
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इमेज क चक्कर

दूसरा के दुख न बुझाला, 
गुड़ से नीमन शक्कर बा। 
सभ इमेज के चक्कर बा॥ 

गुजर गइला पे नीमन लागे 
ई इहवा के नीति बाटे। 
कोस कोस के थाकल जबले 
मुह चटला के रीति बाटे॥ 

फाटल लुगरी मसकत जाला 
लोगवा कहेलन फक्कड़ बा॥ 
सभ इमेज के चक्कर बा॥ 

कुहूंकत कंहरत जीये लगलन 
कहिन नियति के लेखा ह। 
ठिठुर ठिठुर के जाड़ बीतइहै 
बनल हाथ के रेखा ह। 

घर दुवरा बा कुल्हि फुटपाथवे 
बनत लाल बुझक्कड़ बा॥ 
सभ इमेज के चक्कर बा॥ 

घरे घिन्नाने लईकन से 
झुग्गी मे उठावें गोदी। 
पनीर से नीचे पचत नईखे 
नुक्कड़ पे खइलन बोदी। 

सभका भईया बबुआ बोलल 
चुनाव जीते के मंतर बा॥ 
सभ इमेज के चक्कर बा॥ 
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अइसने घरवा

तुनक के बबुआ मत बतियावा 
सभकर ऐंठल छूटल। 
अइसने घरवा फूटल॥

टुकुर टुकुर सभ देखी तोहके 
निहुर निहुर नरियाई। 
मन मे फाड़ पडल बा जब जब 
बनल बखरिया टूटल॥ अइसने ...... 

बहुत बघरला आपन शान 
थोड़ीके मे बउरइला। 
नाही बुझाइल नीक निहोरा 
राउर भाग बा रूठल॥ अइसने ....... 

बनला मे सभ भाजी मारी 
सांय सांय समुझाई। 
भर गइल बा पाप के घरिया 
सगरों मची उथल पुथल॥ अइसने .... 

सबका फटल मे अंगुरी डालल 
सबका के चमकावल। 
जब जब नेकी दूर पराइल 
भर दिन घरनी सूतल॥ अइसने ...... 
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लेखक परिचय:-

नाम: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी 
मैनेजिग एडिटर (वेव) भोजपुरी पंचायत
बेवसाय: इंजीनियरिंग स्नातक कम्पुटर व्यापार मे सेवा
संपर्क सूत्र: 
सी-39 ,सेक्टर – 3 
चिरंजीव विहार, गाजियावाद (उ. प्र.) 
फोन : 9999614657
अंक - 80 (17 मई 2016)

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