
पंछी दूर ठिकाना बा - रमाकान्त मुकुल
पंछी दूर ठिकाना बा। कहिया ले ई रात अन्हरिया बइटल हँसी उडाई कब विहान के झिलमिल रेखा सपना बन मुस्काई। कब ले धुन्ध छँटी जिनगी के कहँवा भोर सुहा...
पंछी दूर ठिकाना बा। कहिया ले ई रात अन्हरिया बइटल हँसी उडाई कब विहान के झिलमिल रेखा सपना बन मुस्काई। कब ले धुन्ध छँटी जिनगी के कहँवा भोर सुहा...