
पलटूदास के दोहा
आपै आपको जानते, आपै का सब खेल। पलटू सतगुरु के बिना, ब्रह्म से होय न मेल॥1॥ पलटू सुभ दिन सुभ घड़ी, याद पड़ै जब नाम। लगन महूरत झूठ सब, और बिगाड़ै...
आपै आपको जानते, आपै का सब खेल। पलटू सतगुरु के बिना, ब्रह्म से होय न मेल॥1॥ पलटू सुभ दिन सुभ घड़ी, याद पड़ै जब नाम। लगन महूरत झूठ सब, और बिगाड़ै...
पानी अँखिया के मरल, बदलल जग के रीत। लंपट ठाढ़ बुलंदी पर, पनिहर बा भयभीत॥1 ॥ बनि जाले जिनगी सहज, सुखदाई के इत्र। मिलले अगर सुभाग से, एको मनगर ...
गाभी कबहूँ ना करे, नाही देला घाव। अइसन मनई के सदा, सूखलो चले नाव।। करकरात बा सब जगह, सूरदास के घीव। जबसे लागल बा हिले, सहे के पुख्ता नींव।...
आपन बड़ाई हर घरी, हरदम बड़का बोल तब जाके ए दुनिया में, लागी तोहर मोल॥ रातो दिन पढ़ते रहल, बाकिर भइल ना पास भइल पैरवी तब जाके, जागल ओकर भाग...