
पचइयाँ : दूध, दूब आ नेह के गंध - परिचय दास
पचइयाँ के दिन जब आँगन के गोबर लिपल धरती साँप के बरे सजावल जाला, त उ घरी गाँव के हावा में एगो गंध उठेला—माटी, दूध, गोबर, दूब आ आँच के। पचइयाँ...
पचइयाँ के दिन जब आँगन के गोबर लिपल धरती साँप के बरे सजावल जाला, त उ घरी गाँव के हावा में एगो गंध उठेला—माटी, दूध, गोबर, दूब आ आँच के। पचइयाँ...