
बेचैन मन - गोपाल अश्क
जियरा धक-धक धड़क रहल बा फर-फर अंखियां फरक रहल बा देख-देख के दिन दशा मन होखत बा बेचैन मन बाटे बेचैन। आसमान झुकत बा जइसे लागत बा मनवा के अइसे ...
जियरा धक-धक धड़क रहल बा फर-फर अंखियां फरक रहल बा देख-देख के दिन दशा मन होखत बा बेचैन मन बाटे बेचैन। आसमान झुकत बा जइसे लागत बा मनवा के अइसे ...
कहs गाँव कs घर कs केशव बहुत भइल बेपर कs केशव, कहs गाँव कs घर कs केशव! ईंटा कs जंगल में हम तs शहर जी रहल बानीं, कंकड़-पत...