भदई के असरा प'फिरि गइल पानी,
लउके ना बदरी के नाँवो-निसानी
अबकी असढ़वा बिगरि गइल जतरा
बरिसल ना रोहिनी बिराइ गइल अदरा
परि गइल अझुरा में सउँसे किसानी।
लच्छनि बुझाय ना कुछ अबकी बेरिया
सावन-भदउवाँ न लहकल कजरिया
लागऽ ताटे चूई ना असों ओरियानी।
चढते कुअरवाँ में मेघ घहराइल
रबी के सुतार देखि मन अगराइल
सपनन के पाँखि लगल बिहँसल पलानी।
भदई के असरा प'फिरि गइल पानी।
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