हमहुँ सम्मानित होखब - मिर्जा खोंच

कविता में हम छींकब सगरो कविता में हम खोंखब
लाग रहल बा तब जाके हमहूँ सम्मानित होखब।

हम का जानी साहित्य ह का, का होखेला ई भाषा
बाकिर जे लिख के देदेना उ बन जाला परिभाषा।

इन कर उनकर माल खपा के जब अपना के जोखब
लाग रहल बा तब जाके हमहूँ सम्मानित होखब।

धरम के नाम पर दंगा बा, भगवन ई अउरो होखे
एहि में नेता बन जाएब काहे जाईं रोके।

जेतना खून बही उहवाँ अपना कुरता में सोखब
लाग रहल बा तब जाके हमहूँ सम्मानित होखब।
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