पाती - गुरुविन्दर सिंह

मिलल की जइसे भूलल थाती
लिखल तहार मिलल जब पाती।

रोजे रात निहारत रहनी
हीते-नाते सबसे कहनी
बहल लोर मोर साँझ-पराती।

मन में, बहुते बिसवास रहल
हियरा लुतियन के वास रहल
बरली ओह से दियना-बाती।

मिले साँझ रोजे दिन-रैना
बिन मांझी मोरा नइया सूना
खेले खेल समय उत्पाती।
लिखल तहार मिलल जब पाती।
------------------------
लेखक परिचय:-
नाम: गुरुविन्दर सिंह
बलिया उत्तर प्रदेश

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.