अन्हिया मे उड़ल छन्हियाँ, बनल कहानियाँ
कि बबुआ के जनम भइलें हो॥
अरे हो घरे आइल आपन निसनिया
कि चनवा उतरि अइलें हो॥
काटे धउरे चाँन क चननिया, नाक के नथनिया
कि दुवरे के पलनिया हो॥
अरे हो करकेले कमर करधनिया
कि बबुआ स्रिंगार भइलें हो॥
सासू मोरी मटिया जगावेली,सभके बोलावेली,
जबरी जिमावेली हो॥
अरे हो हँसी-हँसी लोरिया सुनावेली
कि ललनवा दुलरावेली हो॥
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संपादक: (भोजपुरी साहित्य सरिता)
इंजीनियरिंग स्नातक;
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