पोसलें अब कुछो पोसाता - जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

बूढ़वन के सुखले दियाता 
कहवाँ बा उजियार फलाने। 
रोवें पुक्का फार फलाने॥ 

कबों उनुका रहे फ़फाइल 
सीमा लाँघते उड़स आइल 
सोचीं सै सै बार फलाने। 
रोवें पुक्का फार फलाने॥ 

दादी से लत्ता उठववले 
घरे उ लुग्गा फइलवले 
बउवाइल बेजार फलाने। 
रोवें पुक्का फार फलाने॥ 

बहुरिया के नजरी जोहस 
रोजे जाई पछुवा पोवस 
परापत से लचार फलाने। 
रोवें पुक्का फार फलाने॥ 

हुक्का पानी रिस्ता बिगरल 
सगरी सिरजन बाटे उजरल 
कत्तों बा गुलजार फलाने। 
रोवें पुक्का फार फलाने॥ 
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लेखक परिचय:-
इंजीनियरिंग स्नातक;
व्यवसाय: कम्पुटर सर्विस सेवा
सी -39 , सेक्टर – 3;
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