
आजे के दिने कृष्ण भगवान सब गोपियन संगे महारास रचवले रहस। सभे आज के अँजोरिया में नहा के सब कुछ भुला गइल रहे। बाल्मीकि जी हमरा हिसाब से आजे रामायण रचे के सिरी गनेस कइले होईहें, काहे कि सारस (क्रौंच पक्षी) के जोड़ा (उज्जर धब-धब) एही रात के ओह शिकारी के हाथे मार दिहल गइल रहे, जवन "रामायण" लिखे जाये के आधार बनल। गुरुकुल के सभे पढ़ाकू लईका लोग के चौमास के बाद आजे दोबारा फेरु से पढ़े के शुरुआत करे के दिन होखत रहे (पुरान इतिहास के आधार पर)!
आज के चाँद के देखब तऽ मन हरिहरा जाई। आज कोठा भा खुला आसमान के नीचे खीर खाये के रात हऽ। कहल जाला कि आज के अँजोरिया में खीर में अमरीत पड़ जाला आ ओह खीर खाये वाला के जनम सिद्ध हो जाला। आज के चाँद राउर संघी-संघाती जस बुझाई। ओकरा से बतिआवे के, आपन दुख-सुख बाँटे के रात हऽ ई। प्रेमी आ प्रेमिका भा मरद-मेहरारू लोग के प्रणय-निवेदन के रात होई आज। एह में सभे के साध पूरेला।
राउरो कुछ साध होखो तऽ चाँद से कहीं, ऊ राऊर संदेशा ओह प्यार लगे चहुँपा दिहें, जहां राऊर प्यार बसल बा। तऽ आईं, आज के पूर्णमासी के माजा लूटल जाव आ प्रकृति के गोदी में बइठल जाव।
---------------------------------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें