चमकी बोखार - तारकेश्वर राय 'तारक'

बिहार में चमकी ढहले बिया कहर।
भरल हस्पताल बा भरल बिया डहर॥


कुहुंक खून के आँसू रोवतीया माई।
फाटता हियरा सुन परिजन के रोवाई॥

बबुआ बड़ा शान्त बाटे कोरा में भाई।
केकरा से पूँछि हम केकरा लगे जाइ॥


नन्हकन पर पड़ल बा बीपत ई भारी।
डाकटर ओर देखतिया माई बेचारी॥

रोजे कोख के उजाड़तिया चमकी।
करी काबू ना त ई अउरी सनकी॥


हमहुँ हई रहवइया रउरे देश के।
दुखवा के देखी मत देखी भेष के॥

खाली स्कोर पर बाटे राउर धियान।
टीआरपी बढ़ावे में लगवनी गियान॥


सियासत के ई कारोबार बा कइसन।
बाटे जान हमरो लगे रउरे जइसन॥

भाई सहयोग के हाँथ आगे बढ़ाई।
सूर जागरूकता के रउरो कढाई॥


प्रशासन के हिलाई ओके जगाई।
हौसला के मलहम रउरो लगाई॥
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Tarkeshwar Rai तारकेश्वर राय 'तारक'लेखक परिचय:-
नाम: तारकेश्वर राय 'तारक'
सम्प्रति: उप सम्पादक - सिरिजन (भोजपुरी) तिमाही ई-पत्रिका
गुरुग्राम: हरियाणा

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