नयन के दोना ढरकल आवता - विद्या शंकर विद्यार्थी

नयन के दोना ढरकल आवता।

कले कले चाँन घसकल आवता
दर्द जात नइखे कसकल आवता।

हवा जले जनले बा अकेले बानी
असुर के जात चसकल आवता।

फाग में रहल ना हँसे के अचिको
उनुका पर मन लहकल आवता।

सी के चीर जीए के मन ह केकर
छाती दबलो पर दरकल आवता।

बेदना में विद्या का कह सकेलन
नयन के दोना ढरकल आवता।
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लेखक परिचयः
नाम: विद्या शंकर विद्यार्थी
C/o डॉ नंद किशोर तिवारी
निराला साहित्य मंदिर बिजली शहीद
सासाराम जिला रोहतास (सासाराम )
बिहार - 221115
मो 0 न 0 7488674912

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