मेघराग - दिनेश पाण्डेय

टेसू लहकल,
चिरईं चहकल,
मन बहकल,
तन सहकल।
बहल बयारि रेत भरकल मुट्ठी भ।
आसा के दरिआवे पानी
बाँचल अब घुट्ठी भ।
मन-मछरी पिअराइल गुइयाँ
खीन चातकी।
मेघा बूनी दे।

चुनरी सरकल,
मुनरी खरकल,
हिय दरकल,
जिय फरकल।
चाह छाँह के दुबकल अब बरगद तर।
कगवा के नेटी में अँटकल
साँय-साँय के घर्घर स्वर,
अब भाखी कवन उदेस ?
पिया परदेस, पातकी।
मेघा बूनी दे।
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लेखक परिचयः
नाम: दिनेश पाण्डेय,
आवास संख्या - 100 /400,
रोड नं 2, राजवंशीनगर, पटना - 800023.
मो. न.: 7903923686


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