दोबिधा में मनवा हमार होइ जाला
कले-कले दिनवाँ पहार होइ जाला।
ढेर परिवार क अपार लागै रोटिया
देहिया ढुकावै बदे, फटही लँगोटिया।
लोग बतावैला, सुधार होइ जाला।
कले-कले दिनवाँ पहार होइ जाला।
निरगुन बतिया, सगुन कब होई?
देशवा के, देशवा क धुन कब होई
दूर जइसे नदिया, किनार होइ जाला।
कले-कले दिनवाँ पहार होइ जाला।
बिजुरी जरत कारी रतिया न जाले
बेचलो इजतिया, बिपतिया न जाले
कइसे मानी, देशवा, उधार होइ जाला
कले-कले दिनवाँ पहार होइ जाला।
पनिया क भँवरा, थिराई कि दौं नाहीं
‘बावला’ कबहुँ सुख पाई कि दौं नाही
जस तिछुअरवा कटार होइ जाला।
दोबिधा में मनवा हमार होइ जाला
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कले-कले दिनवाँ पहार होइ जाला।
ढेर परिवार क अपार लागै रोटिया
देहिया ढुकावै बदे, फटही लँगोटिया।
लोग बतावैला, सुधार होइ जाला।
कले-कले दिनवाँ पहार होइ जाला।
निरगुन बतिया, सगुन कब होई?
देशवा के, देशवा क धुन कब होई
दूर जइसे नदिया, किनार होइ जाला।
कले-कले दिनवाँ पहार होइ जाला।
बिजुरी जरत कारी रतिया न जाले
बेचलो इजतिया, बिपतिया न जाले
कइसे मानी, देशवा, उधार होइ जाला
कले-कले दिनवाँ पहार होइ जाला।
पनिया क भँवरा, थिराई कि दौं नाहीं
‘बावला’ कबहुँ सुख पाई कि दौं नाही
जस तिछुअरवा कटार होइ जाला।
दोबिधा में मनवा हमार होइ जाला
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