जहर - केशव मोहन पाण्डेय

हँसत खेलत जिनगी में
भर जाला जहर
जब अपना करनी से
आदमी केहू के दुख पहुँचावेला
चाहि के जब केहू के सतावेला।

कई बेर
लाख जतन कइलो पर
जब जीत ना होला
तब आदमी घबड़ा के
कई बेर कुराही हो जाला
आ कई बेर
सूखलो आँखि में
भाव के बाढ़ एतना बढ़ेला
कि समुन्दर छलके लागेला
मन के पीड़ा
कहर बन के टूट पड़ेला
आदमी, आदमी के ना चिन्हे ला
बाकिर ऊ आदमीयत कवन
जवन केहू के पीड़ा ना हरे
केहू के खुश ना करे
कवनो अथाह/अकूत शक्ति से
लड़े ना डरे।
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केशव मोहन पाण्डेय - मैनालेखक परिचय:-
नाम - केशव मोहन पाण्डेय
2002 से एगो साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ के संचालन।
अनेक पत्र-पत्रिकन में तीन सौ से अधिका लेख, दर्जनो कहानी, आ अनेके कविता प्रकाशित।
नाटक लेखन आ प्रस्तुति।
भोजपुरी कहानी-संग्रह 'कठकरेज' प्रकाशित।
आकाशवाणी गोरखपुर से कईगो कहानियन के प्रसारण, टेली फिल्म औलाद समेत भोजपुरी फिलिम ‘कब आई डोलिया कहार’ के लेखन अनेके अलबमन ला हिंदी, भोजपुरी गीत रचना.
साल 2002 से दिल्ली में शिक्षण आ स्वतंत्र लेखन.
संपर्क –
तमकुही रोड, सेवरही, कुशीनगर, उ. प्र.
kmpandey76@gmail.com

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