हिन्दी हिन्दी उहो क़हत हौ
हिन्दी गाईं होरी में॥
रटल रटावल घीसल पीटल
सभै सुनाई होरी में॥
पढ़ल उरुवा अनपढ़ मंत्री
इहो बताईं होरी में॥
लिख लोढ़ा पढ़ पाथर के हौ
भेंट कराईं होरी में॥
अंडे क फंडा सभ देखल
उहो नचाई होरी में॥
इटली वाली पंचर सइकिल
कहाँ चलाईं होरी में॥
गूंगवा बोलल ढेर दिनन में
फूल चढ़ाईं होरी में॥
भरल तिजोरी देंवका चाटी
पचरा गाईं होरी में॥
उड़नखटोला फाटल कुरता
बात बनाई होरी में॥
नेताजी के नव लखिया मे
तेल भराईं होरी में॥
मंदिर मंदिर माथा टेकस
पास कराईं होरी में।
ई वी एम मे सभ नीमन होखो
लाज बचाईं होरी में॥
भांग घोंट के मातल काशी
ठेंग देखाई होरी में॥
डराई डे बा थैली से ही
काम चलाईं होरी में॥
साँझ अवध के सुबहे बनारस
फेर बताईं होरी में॥
खुने खून नवाबी नगरी
तहजीब सिखाईं होरी में॥
धरम जाति के फइलल जहर
उहो मेटाईं होरी में॥
सभ केहु इहवाँ आपन बाटे
गरे लगाईं होरी में॥
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हिन्दी गाईं होरी में॥
रटल रटावल घीसल पीटल
सभै सुनाई होरी में॥
पढ़ल उरुवा अनपढ़ मंत्री
इहो बताईं होरी में॥
लिख लोढ़ा पढ़ पाथर के हौ
भेंट कराईं होरी में॥
अंडे क फंडा सभ देखल
उहो नचाई होरी में॥
इटली वाली पंचर सइकिल
कहाँ चलाईं होरी में॥
गूंगवा बोलल ढेर दिनन में
फूल चढ़ाईं होरी में॥
भरल तिजोरी देंवका चाटी
पचरा गाईं होरी में॥
उड़नखटोला फाटल कुरता
बात बनाई होरी में॥
नेताजी के नव लखिया मे
तेल भराईं होरी में॥
मंदिर मंदिर माथा टेकस
पास कराईं होरी में।
ई वी एम मे सभ नीमन होखो
लाज बचाईं होरी में॥
भांग घोंट के मातल काशी
ठेंग देखाई होरी में॥
डराई डे बा थैली से ही
काम चलाईं होरी में॥
साँझ अवध के सुबहे बनारस
फेर बताईं होरी में॥
खुने खून नवाबी नगरी
तहजीब सिखाईं होरी में॥
धरम जाति के फइलल जहर
उहो मेटाईं होरी में॥
सभ केहु इहवाँ आपन बाटे
गरे लगाईं होरी में॥
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नाम: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
संपादक: (भोजपुरी साहित्य सरिता)
इंजीनियरिंग स्नातक;
व्यवसाय: कम्पुटर सर्विस सेवा
सी -39 , सेक्टर – 3;
चिरंजीव विहार , गाजियाबाद (उ. प्र.)
फोन : 9999614657
ईमेल: dwivedijp@outlook.com
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