गउवाँ अजुओ जस के तस बा - जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

बुढ़ऊ बब्बा के बतियन में
अभियो भरल रस बा।
गउवाँ अजुओ जस के तस बा।

अजुओ आजी कारे बचवा
कही के हमें बोलावै
हाल-चाल कुल्ही पूछ-पाछ के
खूब ही दूध पियावै
कुछ खाले कुछ खाले कहिके
सिक्कम भर खियावै
संझिए मुड़तारी बइठ के
माथे तेल सोखावै
ओनके हियरा में साँचो
नेह के भरल कलश बा।
गउवाँ........

भोरहीं दहिया महिके अजिया
खूब निकारे लैनु
हाथ पसरले नन्हका उहवें
हमके दे-दे फेनु
नन्हकी देखि चिहाइल बाटे
बान्हल धेनु गइया
अब त बायन बाटें खाति
जइहें बड़का भइया
के बाटै जे बोली उनुका
केकरे एतना बस बा॥
गउवाँ.......

भोरे-भोरे घूरहु कक्का
खेते-खेत घुमावै
कवनों खेत के पानी काटै
कवनों मे सरियावै
खरिहाने क दउरी आउर
कोल्हुवाड़े क लकटा
गरम गुड़ क पनपियाव
सिरका के भरल मटका
गुड़ चिउरा से लइकन के
जेबिया भरल ठसाठस बा॥
गउवाँ.........

साँझी बेरा जुटिके लइका
खूब मचइहें हल्ला
बुढ़ऊ बब्बा चाहे मारै
चाहे कहैं निठल्ला
बिन कहनी के जान न छुटै
भलही कतनों भरमावै
बब्बा के खिसिआइल देखि
बहुरिया मन ही मन मुसकावै
लइकन के संग बब्बो के
खूबही मिलत रस बा॥
गउवाँ........

बुढ़ऊ बब्बा के बतियन में
अभियो भरल रस बा।
गउवाँ अजुओ जस के तस बा।
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गउवाँ अजुओ जस के तस बा - जयशंकर प्रसाद द्विवेदी लेखक परिचय:-
नाम: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
संपादक: (भोजपुरी साहित्य सरिता)
इंजीनियरिंग स्नातक;
व्यवसाय: कम्पुटर सर्विस सेवा
सी -39 , सेक्टर – 3;
चिरंजीव विहार , गाजियाबाद (उ. प्र.)
फोन : 9999614657
ईमेल: dwivedijp@outlook.com
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