सबक - दिलीप कुमार पाण्डेय

सारा हद पार कइलस दुश्मन अब,शबक सीखावल जरूरी बा,
शांति के भाषा ना बुझी, पराक्रम देखावल जरूरी बा।

सम्मान सहुलियत देके सोंची ना आज ले, मिलल बा काथी,
राज भोगे दिल्ली का पइसा पर, शत्रु के बनल बा साथी।
मान के बुझत मजबूरी, तीन स सत्तर हटावल जरूरी बा,
शांति के भाषा ना बुझी, पराक्रम देखावल जरूरी बा।

सैतालिस से अबहीं ले, लाखो लो प्राण गंवा चुकल,
बहुत बच्चा बेसहारा भइलें, बहुतो मांग धोआ चुकल।
शत्रु फन ना उठा पावो, डेग अइसन उठावल जरूरी बा।
शांति के भाषा ना बुझी, पराक्रम देखावल जरूरी बा।

बल मानसन का जेहन, में दिन-रात जहर घोराताटे,
हाथे रोड़ा बाजन का, सेना के सिर फोड़ाताटे।
पुचकरले कुछ ना होई, बुलेट बरसावल जरूरी बा,
शांति के भाषा ना बुझी, पराक्रम देखावल जरूरी बा।
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सबक - दिलीप कुमार पाण्डेयलेखक परिचय:-
नाम:- दिलीप कुमार पाण्डेय
बेवसाय: विज्ञान शिक्षक
पता: सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
मूल निवासी -अगौथर, मढौडा ,सारण।
मो नं: 9707096238

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