मितऊ देहला ना जगाया - सन्त पलटूदास

मितऊ देहला ना जगाया; नींदिया बैरिन भैली।। 

की तो जागै रोगी, की चाकर, की चोर
की तो जागै संत बिरहिया, भजन गुरु कै होये।। 


स्वारथ लाय सभै मिलि जागैं, बिन स्वारथ ना कोय
पर स्वारथ को वह ना जागै, किरपा गुरु की होय।। 


जागे से परलोक बनतु है, सोये बड़ दुख होय
ज्ञान सरग लिये पलटू जागै, होनी होय सो होय।।
-----------------------------------------------------------
लेखक परिचय:-
नाम: सन्त पलटूदास
जनम स्थान: जलालपुर, फैजाबाद उत्तर प्रदेश

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.